भागने का नहीं था कोई भी रास्ता , बकरी और मेमने की हालत खस्ता।
एक नन्हा मेमना और उसकी मां बकरी,
जा रहे थे जंगल में राह थी संकरी।
अचानक सामने से आ गया एक शेर ,
लेकिन अब तो हो चुकी थी बहुत देर।
भागने का नहीं था कोई भी रास्ता ,
बकरी और मेमने की हालत खस्ता।
उधर शेर के कदम धरती नापें ,
इधर ये दोनों थर-थर कापें।
अब तो शेर आ गया एकदम सामने ,
बकरी लगी जैसे-जैसे बच्चे को थामने।
छिटककर बोला बकरी का बच्चा-
शेर अंकल! क्या तुम हमें
खा जाओगे एकदम कच्चा ?
शेर मुस्कुराया ,
उसने अपना भारी पंजा मेमने के सिर पर फिराया।
बोला-
हे बकरी - कुल गौरव , आयुष्मान भव!
दीघार्यु भव! चिरायु भव!
कर कलरव! हो उत्सव!
साबुत रहें तेरे सब अवयव।
आशीष देता ये पशु-पुंगव-शेर ,
कि अब नहीं होगा कोई अंधेरा
उछलो , कूदो, नाचो और जियो हंसते-हंसते
अच्छा बकरी मैया नमस्ते!
इतना कहकर शेर कर गया प्रस्थान ,
बकरी हैरान- बेटा ताज्जुब है ,
भला ये शेर किसी पर रहम खानेवाला है ,
लगता है जंगल में चुनाव आनेवाला है
जा रहे थे जंगल में राह थी संकरी।
अचानक सामने से आ गया एक शेर ,
लेकिन अब तो हो चुकी थी बहुत देर।
भागने का नहीं था कोई भी रास्ता ,
बकरी और मेमने की हालत खस्ता।
उधर शेर के कदम धरती नापें ,
इधर ये दोनों थर-थर कापें।
अब तो शेर आ गया एकदम सामने ,
बकरी लगी जैसे-जैसे बच्चे को थामने।
छिटककर बोला बकरी का बच्चा-
शेर अंकल! क्या तुम हमें
खा जाओगे एकदम कच्चा ?
शेर मुस्कुराया ,
उसने अपना भारी पंजा मेमने के सिर पर फिराया।
बोला-
हे बकरी - कुल गौरव , आयुष्मान भव!
दीघार्यु भव! चिरायु भव!
कर कलरव! हो उत्सव!
साबुत रहें तेरे सब अवयव।
आशीष देता ये पशु-पुंगव-शेर ,
कि अब नहीं होगा कोई अंधेरा
उछलो , कूदो, नाचो और जियो हंसते-हंसते
अच्छा बकरी मैया नमस्ते!
इतना कहकर शेर कर गया प्रस्थान ,
बकरी हैरान- बेटा ताज्जुब है ,
भला ये शेर किसी पर रहम खानेवाला है ,
लगता है जंगल में चुनाव आनेवाला है
लेबल: अजब गजब, नेता अजब गजब
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ