सोमवार, 8 अप्रैल 2013

bharat ka itihash2


रविवार, 7 अप्रैल 2013

bharat ka itihash





गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

buffalo *भेंस* रूपी "सरकार" के आगे बीन बजा रहे हैं !!


अब तो  ऐसे  लग  रहा  है  कि  हम खामख्वाह इस भेंस रूपी "सरकार" के आगे बीन बजा रहे हैं !!
   
अब तो कमर कस कर मैदान(रामलीला) में दो-दो हाथ ही करने पड़ेंगे ! हमारे "राजकुमार" तो उस "राजा" के साथ घूम रहे हैं,जिसे बोलने का ही होश नहीं है ! "चोर-चोर मौसेरे भाई".
   
मोटर सायकिल में बैठ कर सत्ता तक पहुँचाने का मार्ग पकड़ा है,हमारे राजकुमार ने,स्वयं के भारतीय होने में ग्लानि का अनुभव कर रहे हैं,श्रीमानजी !
   
और मीडिया ? मीडिया चटखारे लेकर जनता को भी परोस रही है !!!
   
क्या मीडिया ने उस संत के पास जाने की जैहमत उठाई जो उत्तराखंड की वादियों में माँ गंगा के लिए अनसन करते-करते कोमा में चला गया ? क्या जैन मुनि के त्याग की खबर यू पी से लेने का मानस बनाया ?
    
अरे रामदेव को छोडो ! वह तो आंधी-तूफ़ान से भी आगे निकल गया है,फिर भी संत स्वभाव से आप लोगों की बड़ाई कर देता है,यह उस महात्मा का बड़प्पन है और आप अपनी मति में चापलूसी समझ बैठें !! 
    
जनता जनार्दन के साथ कंधे से कंघा मिला कर माँ भारती की सेवा में जुड़ कर अपने को "भारतीय" कहलाने में गर्व का अनुभव करना सीख लो,वरना.....जनता तो जनता ही है.....याद कर लें....कृष्ण ने सबसे छोटी अंगुली पर गोवर्धन को उठाया था.....समझ रहे हैं ना...क्या लिख रहे हैं,जनता की तरफ से ?

http://groups.google.com/group/bharatswabhimantrust

लेबल: ,

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

Let us learn all things from everybody


बुधवार, 11 अप्रैल 2012

Politician(*नेता*) दुर्लभ जाति का जीव होता है जो पाँच वर्ष में एक बार बाहर निकलता है

Politician(*नेता*) ऐसा दुर्लभ जाति का Animal होता है जो पाँच वर्ष में एक बार बाहर निकलता है
वे दिन चुनाव के होते है इन दिनों में इस Animal का व्यवहार बदला-बदला होता
है
इसे बात-बात पर हाथ जोड़ने ओर मतदाता देखते ही पाँव पड़ने का दौरा पड़ता
रहता
है । इसके बाहर आते ही कुछ छोटी जोड़ के छुटभैये सक्रिय हो जाते है उनका
व्यवहार
भी अजीबो-गरीब होता है ।
मतदाता
को भी ईश्वर उस समय ऐसी बुद्धि देता है की उसका उपर का माला बिलकुल साफ
हो
जाता है । अब वो इस प्राणी की हर बात पर भरोसा करने लगता है । ढ़ोल के शोर,
बेनरो
की चकाचौध, चौराहो की बाते, पार्टी के कट्टर कार्यकर्ताओ की आपसी
नौकझौक
, नेताओ के तूफानी दौरे, Media के द्वारा तैयार माहौल, एक्ज़िट पोल से
दिखाये
नतीजे और सबसे ज्यादा स्वयं की मूर्खता से ये मतदाता नामक प्राणी बुरी
तरह
फंस कर रह जाता है और उसके हाथ से वो मौका भी निकल जाता है जिससे वो पिछले
पाँच
वर्षो का हिसाब किताब कर सकता था प्रत्याशी से ........ बस अब वो अगले
पाँच
साल तक अपने अन्य साथी मूर्खो के साथ बैठकर नेताओ को कौसेगा !!!!! तब तक
फिर
चुनाव आ जाएगा ओर फिर वही .......

लेबल: ,

रविवार, 8 अप्रैल 2012

"तिहाड़ राष्ट्रीय हॉलीडे रिजार्ट"


तिहाड़ जेल का नाम बदल कर अब "तिहाड़ राष्ट्रीय हॉलीडे रिजार्ट" कर देना चाहिए तथा इसे सिर्फ वीवीआईपी राजनेताओं और 500 करोड़ से ऊपर के आदरणीय घोटालेबाजों के लिए आरक्षित कर देना चाहिए.. तिहाड़ जेल की पूरी इमारत को वातानुकूलित करके सेटेलाइट फ़ोन, इंटरनेट, फाइव स्टार रेस्तरां, स्विमिंग पूल, जिम आदि सुविधाओं से लैस किया जाना चाहिए..
जब नेता पब्लिक का इतना ख्याल रखते हैं और पब्लिक का धन अपना समझते हैं तो हमें भी उनका पूरा ख्याल रखना ही होगा... जय हो... :)

आप सब भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करें ।

लेबल: ,

भागने का नहीं था कोई भी रास्ता , बकरी और मेमने की हालत खस्ता।


एक नन्हा मेमना और उसकी मां बकरी,
जा रहे थे जंगल में राह थी संकरी।

अचानक सामने से आ गया एक शेर
,
लेकिन अब तो हो चुकी थी बहुत देर।

भागने का नहीं था कोई भी रास्ता
,
बकरी और मेमने की हालत खस्ता।

उधर शेर के कदम धरती नापें
,
इधर ये दोनों थर-थर कापें।

अब तो शेर आ गया एकदम सामने
,
बकरी लगी जैसे-जैसे बच्चे को थामने।

छिटककर बोला बकरी का बच्चा-

शेर अंकल! क्या तुम हमें

खा जाओगे एकदम कच्चा
?
शेर मुस्कुराया
,
उसने अपना भारी पंजा मेमने के सिर पर फिराया।

बोला-

हे बकरी - कुल गौरव
, आयुष्मान भव!
दीघार्यु भव! चिरायु भव!

कर कलरव! हो उत्सव!

साबुत रहें तेरे सब अवयव।

आशीष देता ये पशु-पुंगव-शेर
,
कि अब नहीं होगा कोई अंधेरा

उछलो
, कूदो, नाचो और जियो हंसते-हंसते
अच्छा बकरी मैया नमस्ते!

इतना कहकर शेर कर गया प्रस्थान
,
बकरी हैरान- बेटा ताज्जुब है
,
भला ये शेर किसी पर रहम खानेवाला है
,
लगता है जंगल में चुनाव आनेवाला है

लेबल: ,